व्यक्तित्वा का निर्माण :- Abhinav Shukla

हम जब भी व्यक्तित्व की बात करते है तो हम हमेशा एक ऐसा व्यक्ति या मनुष्य देखना चाहते है, जो हृदय से विशाल,  मन्न से उच्च और कर्म से महान हो।

हृदय से विशाल का यह आशय है कि जिसका हृदय हमेशा कोमलता से भरा हो, जो संसार  दुख, दर्द को गंभीरता से लेता हो। जिसके लिए संसार का हर मनुष्य, पशु-पक्षी के लिए लगाव और एक समान भावना रखता हो सभी के साथ आदर का भाव रखता हो।

Love everybody improve your personality.
SPREAD LOVE


मन से उच्च का आशय यह है कि जिसकी बुद्धि विचार जो हर समय किसी भी परिस्थिति में एक समान हो। हर प्राणी को ले कर सदभावना हो। जिसके बिचार से संसार में सकारात्मक ऊर्जा फैले।
जो किसी  के लिए किसी भी तरह का नफरत ना पाले।
जो हमेशा संसार की प्रगति में अपने मन और विचार से योगदान दें।
mindset, stay positive, motivational and inspiratioanl
STAY POSITIVE

और कर्म वो शब्द है जिससे हृदय की विशाल और मन के उच्च होने का पता चलता है।
अगर कोई व्यक्ति खुद को और मन को हृदय से महान बताता हो और उसका कर्म इस बातों की पुष्टी नहीं करता हो तो वह  व्यक्ति किसी परिस्थिति में एक अच्छे व्यक्तित्व का इंसान नहीं कहा जा सकता। किसी भी व्यक्ति को उसके कर्मों के द्वारा ही उसे जाना या परखा जाता है कि वो व्यक्ति के मन से कितना उच्च ह्रदय से कितना विशाल है।
Love Yourself
BUILD PERSONALITY

इसीलिए अगर आप एक अच्छे व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति बनना चाहते हैं तो आपको कर्म योगी बनना पड़ेगा।
जैसे कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है|
"Thoughts are the bricks with which character is built character is not born it is formed."
अर्थात् " विचार वे इट है जिससे चरित्र का निर्माण होता है, चरित्र जन्म से नहीं होता उसे बनाया जाता है।
हमे एक अच्छे चरित्र के लिए एक अच्छे विचार की आश्यकता है और हमें अच्छे विचार के लिए कर्म की जरूरत है।
जब हम कर्म करेंगे अच्छे विचार की प्राप्ति के लिए तो हमारे विचार और चरित्र दोनों उच्च होंगे।

एक अच्छे व्यक्तित्व वाले मनुष्य के अन्दर ये चार तरह के भाव होने चाहिए -
१. सबके साथ मित्रता का भाव रखे।
२. दीन दुखियों के प्रति दयावान हो।
३. सबकर्म देख के सुखी हो।
४. दुष्टों के प्रति उपेक्षा दिखाए।
इन सब भाव से मनुष्य स्थिर तथा मन से शांत हो जाता है।